क्यूँ नाम मोहब्बत का
क्यूँ नाम मोहब्बत का बदनाम किया तुमने
तौहीन वफाओं की सरे आम किया तुमने
हम तेरे दीवाने हैं नजरों से पयाम भेजा
फिर आज आवारगी का इल्जाम दिया तुमने
तेरी मोहब्बत में खोकर क्या न किया हमने जालिम
सोंचो क्या बदले में इनाम दिया तुमने
चाहत का सदियों क्यूँ दस्तूर चला आया
जिसने चाहा दिल से टूटे उसी के सपने
M.Tiwari”Ayen”