क्यूँ ऐसा प्यार करती हो
कभी तुम ना ना करती हो कभी तुम हामी भरती हो,
खुदा जाने मेरे हमदम क्यूँ ऐसा प्यार करती हो ?
मैं तेरी याद मे रातों जगा करता हूँ क्यूँ सुन लो,
न तुम इकरार करती हो न तुम इन्कार करती हो।
कभी आया करो सपनों मे आकर प्यार तो कर लो,
मैं आशिक हूँ तुम्हारा ये कभी स्वीकार तो कर लो।
क्यूँ रातों दिन मुझे तड़पा रही हो जानेमन ऐसे,
न करना प्यार है तुमको तो मुझसे रार तो कर लो।
जटाशंकर “जटा”
१३-०१-२०२०