क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
लोग बोले तो, लेकिन (हमारी) सुनने वाले ना हो?
दोस्त हो, मगर दोस्ती ना हो?
ऐसे प्रेम, गुस्से, नाराज़गी, अफ़सोस से क्या फ़ायदा, अगर;
अपने तो हो, मगर संभालने वाला ना हो???
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
लोग बोले तो, लेकिन (हमारी) सुनने वाले ना हो?
दोस्त हो, मगर दोस्ती ना हो?
ऐसे प्रेम, गुस्से, नाराज़गी, अफ़सोस से क्या फ़ायदा, अगर;
अपने तो हो, मगर संभालने वाला ना हो???