क्या है मोहब्बत??
नाम दिया ही है अगर
तुमने एक तरफ़ा इश्क को मोहब्बत,
तो उसको लाज़मी निभाओ
और अगर न समझे कोई जज़्बात तुम्हारे
तो अपने जज़्बातों का मज़ाक न बनवाओ।
हो जाती है मोहब्बत
राह चलते हर शख़्स से किसी को ,
तो कोई मोहब्बत-ए-क़दर में सारी राहे भूल जाता है,
यारा आज कल हर कोई ,
अपनी पसंद को अलग बताता है ।
है सवाल मेरा इतना ,
अगर है सबकी पसंद अलग
तो अंजाम सबकी दास्तान का ,
एक सा क्यों आता है?
क्या हर कोई अलग तरह से दिल दुखाता है??
है वो तुम्हारा
ये ग़ुरूर तुम्हारा है ,
है वो सबका ये ग़ुरूर उसने पाला है
असल में इस मसले ने ही ,
मोहब्बत की असल पहचान को बिगाड़ा है।
पूछूं जो मैं किसी से क्या है मोहब्बत??
कोई बोले दिलकशी ,
कोई मोहब्बत को ख़ुदा की इबादत बताता है,
तो कोई अपनी हवस को ही ,
मोहब्बत नाम दिए जाता है।
असल बात तो यह है यारा,
अधिकतर लोगो ने मोहब्बत ख़ातिर ,
अपना ईमान बेच डाला है।।२
❤️ सखी