— क्या है तेरा —
न यह घर तेरा
न यह दर तेरा
न यह बदन तेरा
न यह साँसे तेरी
न है धन तेरा
न यह परिवार तेरा
न यह दोस्त तेरे
न यह रिश्तेदार तेरे
न तेरा अपना कमाया
न तेरा गवाया तेरा
न कोई संगी तेरा
फिर क्यूं तू भरमाया !!
फिर न जाने क्यूं
सोच सोच के रोज मरता है
क्यूं इन सब चीज पर
तू घमंड करता है !!
कौन कितना काम आया
किस ने तुझे दर से भगाया
मतलब था तो पास बिठाया
फिर भी तेरी समझ न आया !!
मत लगा अपने दिल से
मतलबी इस दुनिया के लोगों को
चलता चल अपनी ही धुन में
जब तक सांस चलाये तेरे तन को !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ