— क्या है तुम्हारी जाति —
कुछ सालों से सुन रहा है
सारा का सारा हिन्दुस्तान
लोग पहले शायद हिन्दू नही थे
जैसे इन सालों में सब के सब
को हिन्दू बना दिया !!
बेवजह के बीज बोकर
दिलों में जात पात का
परचम सब ने लहरा दिया
कैसी विडंबना है लोगों की
जैसे अब हिन्दू जगा दिया !!
जाति के समीकरण ने
जलता हुआ चिराग बुझा दिया
खटास से भर गए सीने सब के
हर घर में जाकर ,हर किसी को
जाति में ही उलझा दिया !!
इंसानियत क्या होती है
इंसान ने इंसान को हैवान बना दिया
आना जाना उठना बैठना
मिलजुल कर संग सभाओं में
सब को यह कैसा कड़वा घूँट पिला दिया !!
बाँट दिया हर वर्ग को
रास्तों में काँटों का है जाल बिछा दिया
जात पात की सरगर्मी से
हिन्दुस्तान को बाँट के दिखा दिया !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ