*क्या हैं*
क्या हैं
तू मुझे कहाँ से कहाँ ले आया बता तेरी रजा क्या हैं,,
तू महफ़िल से भी गमगीन लौट आया तो मजा क्या है।।
ये सफर रूठे रूठे हो गया पूरा मेरा तेरे संग रहगुज़र,,
तो फिर मंजिल तक साथ जाने की तेरी वजा क्या है।।
बहुत सराफत की बात करता है सरेआम तू तो यारा,,
डरता भी है और पूछता भी है कि तेरी सजा क्या है।।
फरिश्ते बनके आये हमतुम इस जमी पर आसमान से,,
अब सवाल पाया क्या तेरी दुनिया में और तजा क्या है।।
दरिया,नदी,झरने सबके सब मीठे ही मीले है तुझमे,,
“मनु” सागर बड़ा फिर खारा होने की वजा क्या है।।
मानक लाल मनु