क्या हसरत क्या मोहब्बत क्या होती ज़िंदगी सुनिये……………..
क्या हसरत क्या मोहब्बत क्या होती ज़िंदगी सुनिये
दो बच्चे दो रोटी इक छत दो चादर अजी सुनिये
इन गैरों से मेरी दास्तान हरगिज़ न सुनना तुम
कहानियाँ सुनिये ज़रूर मगर ज़बानी मिरी सुनिये
आ जाए है जो जी में कह देते हैं मगर फिर भी
जाने कितनी ही आवाज़ें दिल में दबी सुनिये
रंग बदल डाला आँखों के काजल ने रुखसारका
बसते हैं दिल में दर्द आँखों में नमी सुनिये
भर के चाँद सितारे यूँ आँचल में रात चलती है
तो दिन से आफताब की भी हमसे दोस्ती सुनिये
छेड़ो ना इन तारों को यूँ ही तूफान उठा देंगे
रख लीजिए हाथों को दिल पे फिर दिल की लगी सुनिये
ये माने है ‘सरु’ निकल आएँगे माने सभी यारो
कानों से ज़्यादा हुज़ूर दिल से शायरी सुनिये
—सुरेश सांगवान ‘सरु’