Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2021 · 2 min read

क्या हम युग परिवर्तन की ओर बढ़ रहे हैं ?

सृष्टि का अपना चक्र है। पुरातन ग्रंथों पौराणिक कथाओ और इतिहास को पढ़कर यह ज्ञात होता है कि समय चक्र के अनुसार युग परिवर्तन होना निर्धारित है। इसलिए यह कहना गलत नहीं कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है। युग शब्द का अर्थ एक निर्धारित वर्षों की संख्या की अवधि से होता है। यदि हम पौराणिक ग्रंथों के आधार पर देखें तो यह ज्ञात होता है कि सृष्टि की रचना में सतयुग, त्रेता युग ,द्वापर युग और कलयुग का समय चक्र निर्धारित है। जैसे-जैसे मानव बौद्धिक और जैविक रूप से विकास की ओर बढ़ता चला जाता है वैसे वैसे समाजिक ढांचा रूपांतरित होता जाता है और यूं ही सृष्टि चक्र चलता रहता है।
सतयुग को प्रथम युग के रूप में जाना जाता है। इस युग में सत्य का बोलबाला होता है। किसी भी तरह का कोई पाप कर्म नहीं पाया जाता है। इस युग को प्रमुख नरसिंह अवतार से जुड़ा जाता है। मान्यता अनुसार इस युग की अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष मानी जाती है । इसके पश्चात त्रेता युग का आगमन होता है । इस युग में राम अवतार हुए । जिसमें सत्य का बोलबाला कुछ घट जाता है और छल कपट देखने को मिलता है। इस वर्ष की अवधि 12 लाख 96 हजार वर्ष मानी जाती है। तीसरे स्थान पर द्वापर युग देखने को मिलता है । इस युग में कृष्ण अवतार हुए। जिसमें सत्य और छल कपट दोनों ही का बोलबाला देखने को मिलते हैं। इस वर्ष की अवधि 86 लाख 4 हजार वर्ष मानी जाती है। अंत में कलयुग आता है । वर्तमान समय को कलयुग का समय ही कहा जाता है। इस समय में पाप का बोलबाला देखने को मिलता है । जिसकी अवधि 4 लाख 32 हजार वर्ष बताई गई है। ऐसी मान्यता है कि धरती का उद्धार करने के लिए इस युग में कल्कि अवतार होंगे। यह सभी अवतार भगवान विष्णु के ही माने जाते हैं।
आज विश्व जिस दौर से गुजर रहा है इस समय में होने वाली घटनाएं झूठ ,पाप, लूटपाट, दुष्कर्म ,हत्या इत्यादि कलयुग के दौर का प्रमाण है। आए दिन आने वाले भूकंप, तूफान, भीषण गर्मी सूखा तथा दिन प्रतिदिन बढ़ती बीमारियां महामारी इस बात का संकेत करती है कि कलयुग अपनी चरम सीमा पर है और हम एक बार फिर युग परिवर्तन की ओर अग्रसर है। एक मान्यता के अनुसार कलयुग और सतयुग के बीच के अंतराल को संगमयुग कहा जाता है यह वह समय है जब कलयुग का अंत हो रहा होता है और दूसरी तरफ सतयुग स्थापित हो रहा होता है। यदि हम युग परिवर्तन की तथाकथित मान्यताओं को गहराई में उत्तरे और समझे तो पाएंगे कि आज हम एक युग परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। जिसमें कलयुग का अंत और सतयुग का आरंभ निर्धारित है।

सकून दिल को नहीं
चारों तरफ फैला कोहराम है
छूट रहा अपनों का अपनों से साथ है
बढ़ रहा धरा पर पाप अत्याचार है
अब धरा को कल्कि का इंतजार है
डूबती नैया का बस वही पतवार है

केशी गुप्ता
लेखिका समाजसेवी
द्वारका दिल्ली

Language: Hindi
Tag: लेख
1044 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*श्रीराम और चंडी माँ की कथा*
*श्रीराम और चंडी माँ की कथा*
Kr. Praval Pratap Singh Rana
खुद पर ही
खुद पर ही
Dr fauzia Naseem shad
चेतावनी हिमालय की
चेतावनी हिमालय की
Dr.Pratibha Prakash
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
जिनके जानें से जाती थी जान भी मैंने उनका जाना भी देखा है अब
जिनके जानें से जाती थी जान भी मैंने उनका जाना भी देखा है अब
Vishvendra arya
स्वीकारा है
स्वीकारा है
Dr. Mulla Adam Ali
"तुम भी काश चले आते"
Dr. Kishan tandon kranti
2859.*पूर्णिका*
2859.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
AJAY AMITABH SUMAN
प्राण- प्रतिष्ठा
प्राण- प्रतिष्ठा
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
माँ तो पावन प्रीति है,
माँ तो पावन प्रीति है,
अभिनव अदम्य
पुतलों का देश
पुतलों का देश
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
आजकल बहुत से लोग ऐसे भी है
आजकल बहुत से लोग ऐसे भी है
Dr.Rashmi Mishra
पिता, इन्टरनेट युग में
पिता, इन्टरनेट युग में
Shaily
जीवन एक मकान किराए को,
जीवन एक मकान किराए को,
Bodhisatva kastooriya
दो शे'र ( चाँद )
दो शे'र ( चाँद )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
Anand Kumar
कृष्ण दामोदरं
कृष्ण दामोदरं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
सच का सच
सच का सच
डॉ० रोहित कौशिक
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
Sunil Suman
कविता
कविता
Shweta Soni
एक सूखा सा वृक्ष...
एक सूखा सा वृक्ष...
Awadhesh Kumar Singh
विषय- सत्य की जीत
विषय- सत्य की जीत
rekha mohan
हर इंसान होशियार और समझदार है
हर इंसान होशियार और समझदार है
पूर्वार्थ
जिनमें कोई बात होती है ना
जिनमें कोई बात होती है ना
Ranjeet kumar patre
यह जिंदगी का सवाल है
यह जिंदगी का सवाल है
gurudeenverma198
कचनार
कचनार
Mohan Pandey
"कब तक हम मौन रहेंगे "
DrLakshman Jha Parimal
सर्वनाम
सर्वनाम
Neelam Sharma
Loading...