!! क्या ?? हम जिन्दा नहीं हैं ??!!
प्रक्रति, जिस की वजह से
आज हम सब जिन्दा हैं
यह नहीं है है अगर
तो हम सब मुर्दा हैं
उसके बावजूद भी
काट राहे हैं पेड़ दिन रात
बना रहे हैं महल
अपने सकून के लिए
काट काट कर पहाड़ का
सीना, रास्ते बन रहे हैं
चीरहरण करके नदिओं का
हम वीर बन रहे हैं
जीना है अगर तो
इन को संजो के रखना होगा
इस धरोहर को हर इंसान के
जीवन संग पिरो के रखना होगा
पानी है तो जीवन है,
वृक्ष है तो जिन्दगी है
पहाड़ है अगर तो हम सुरक्षित हैं
मिटा दिया सब को तो हमारी मौत है
सब का यह कर्तव्य है की
पर्यावरण से इतना प्रेम करो
जितना करते हो अपनी संतान से
उसे भी ज्यादा इन से प्रेम करो !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ