क्या सोचा है तुमने,
क्या सोचा है तुमने,
आज दिवाली क्यूँ मना रहे ।
ऐसी कौन सी विजय मिली,
जो दीप खुशी का जला रहे ।।
क्या सोचा है तुमने,
अरमान किसी के टूट रहे,
बिखर रहे हैं सपने ।
दुश्मन के नापाक इरादों से,
छूट रहे हैं अपने ।।
क्या सोचा है तुमने,
हां हम भी दीप जलाएगे
जब असल विजय हम पाएंगे
न होगी दहशत दिल में
ऐसी दिवाली हम मनाएंगे
क्या सोचा है तुमने,
– सोनिका मिश्रा