क्या सनातनी मुसलमान या स्वदेशी मुसलमान जैसी कोई चीज होती है ? और ये अल्लाह का इस्लाम मुल्ला का इस्लाम क्या है ? आइए चर्चा करें |
पिछले दो तीन साल से जब से मैने इसमें रुचि ली है मै टीवी डिबेट में या फिर सोशल मीडिया पर अक्सर कुछ शब्द पढ़ता एवं सुनता रहता हूं जैसे सनातनी मुसलमान , स्वदेशी मुसलमान या अल्लाह का इस्लाम मुल्ला का इस्लाम आदि | यह सारे शब्द या यह लेख पढ़कर शायद कुछ लोग असहज महसूस करें तो मेरी उनसे गुज़ारिश है कि वो ये लेख आगे न पढ़े और यदि आप भी इन शब्दों को लेकर स्पष्टता चाहते हैं तो आगे पढ़े | आपका स्वागत है |
जब मैने इसके बारे में पढ़ना और रिसर्च करना प्रारंभ किया तो मुझे कुछ हैरान करने वाले तथ्य पता चले जिसे मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं क्योंकि मुझे लगता है कि आप को भी यह लगता होगा की शायद यह सारे शब्द वाकई इसलाम में या इसलामी दुनिया में अस्तित्व में होंगे मगर ऐसा कुछ भी नहीं है इन सारे शब्दों का वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई संबंध नही है और ना ही इनकी कहीं कोई स्वीकार्यता है ये सारे शब्द कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थ साधने के लिए बना रखें हैं और वो कौन लोग हैं मुझे लगता है कि आप भी ये जानते होंगे | इस लेख के माध्यम से मेरा मक़सद किसी के मन में किसी के लिए द्वेष पैदा करना नही है बल्कि सत्य को आगे लाना है |
तो भगवान के लिए यह संशय अपने मन में मत रखिए , एक मुसलमान या तो मुसलमान है या नहीं है | अगर वह पैगम्बर साहब को पैगम्बर मानता है , अगर वह कुरान को पाक अल्ला की किताब मानता है तो वह मुसलमान है और अगर वह यह नही मानता तो वह मुसलमान नही है , इस्लाम और सारी इस्लामी दुनिया में यही स्वीकार्य है | और इसका कोई दुसरा विकल्प नहीं है |
इस्लाम मे इंडोनेशियन मुसलमान , बांग्लादेशी मुसलमान , पाकिस्तानी मुसलमान जैसी कोई चीज नही होती और न ही इसाइ मुसलमान , यहूदी मुसलमान , सिख मुसलमान जैसी कोई चीज होती है तो ये सनातनी मुसलमान या स्वदेशी मुसलमान जैसी कोई चीज कैसे हो सकती है यह इस्लाम मे रहकर संभव ही नहीं है | और यदि आप इसकी सत्यता को स्वयं परखना चाहते हैं तो आप इसके लिए स्वतंत्र हैं |
कृपया अल्लाह का इस्लाम मुल्ला का इस्लाम या फिर ये सनातनी मुसलमान या स्वदेशी मुसलमान इस तरह के भ्रम अपने मन एवं बुद्धि में न पाले | इस्लाम एक है और मुसलमान भी एक ही है जिसका सबसे बड़ा भुक्तभोगी हजार साल से भारत है | अब डिजिटल क्रांति की वजह से इस्लाम और मुसलमान को लेकर जो स्पष्टता भारत के सनातनीयों में आ रही है कृपया इसे फिर गुमराह ना करें |
सत्य को सत्य की तरह ही पढ़ना , लिखना , देखना , बोलना एवं समझना चाहिए और यदि हम ऐसा नही कर पा रहे हैं या किसी स्वार्थ के कारण ऐसा नही कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि हम अपराध कर रहें हैं ना केवल अपने साथ अपितु अपने पूरे राष्ट्र के साथ |