क्या वो भी मुझे चाहती है ?
इश्क़ की इस गली में कही खो सा गया हूं,
खुली आँखों से जैसे सो सा गया हूं,
ना चैन है, न सुकून, न दिन रात दिखते है,
पता नहीं क्यों लोग मुझे पागल दीवाना कहते है ।
अगर हो तो मुझे इस पागलपन की दवा दिलाओ,
या फिर मुझे अपने दिल के मरहम से मिलाओ,
क्या वो सच में इतनी नादान है या सिर्फ दिखावा करती है,
अगर नहीं समझती ये सब, तो क्यों इशारा करती है ।
किसी रोज में उसे सब बता दूंगा,
जो भी है दिल में चीर कर दिखा दूंगा,
फिर चाहे जो नतीजा हो मुझे मंजूर होगा,
शायद यही है प्यार की सजा और इसी में उसका सुरूर होगा ।।