क्या लेना-देना
दिल के इस जज़्बात से क्या लेना-देना
बेमतलब की बात से क्या लेना-देना
देती है वो साथ उजाले साक्षी हैं
तनहाई का रात से क्या लेना-देना
आँखों को क्यों दोष दिया करते हो तुम
ख्वाबों का औकात से क्या लेना देना
आओ दारू बैठ पिएँ मयखाने में
दुनिया के हालात से क्या लेना-देना
औरों की वो प्यास बुझाता रहता है
बादल को बरसात से क्या लेना-देना
बाराती जो झूम रहे हैं मस्ती में
उनको भी बारात से क्या लेना-देना
वो जो छूकर रूह हमारी बैठा है
उसको मेरी जात से क्या लेना-देना