क्या लिख गयी है देश की तकदीर
क्या लिख गयी है देश की तकदीर
सुई में धागा पिरोए सूरदास ,
सत्य ताने सुन रहा है झूठ के
शान्त जन सब हो रहे अधीर ,
गीत कोयल सीखती है काग से
हंस क्यों आज है भयभीत ,
सर उठाकर घूमते है चोर
सभ्य जन के बोलने पर ऐतराज़ ,
नदी नाले व्यंग्य कसते सिन्धु पर
न्याय करते धूर्त और मक्कार ।।
सतीश पाण्डेय