क्या लिखूँ
********** क्या लिखूँ *********
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कलम कलमकार की कहती है उससे
लिखो कुछ कृति जो मन में है उसके
रचनाकार बोझिलता से कहे कलम से
किस पर क्या लिखूँ ,पूछे वो कलम से
धर्म,जाति में बंटा देश होने लगे हैं दंगें
भांति भांति के हर कोने में पड़े हैं पंगे
शांति बदली अशांति में बोले कलम से
किस पर क्या लिखूँ, पूछे वो कलम से
अपने अपने हाथों में अपने अपने झंडे
अपनी डफली अपने राग,पकड़े हैं डंडे
तिरंगे के रंग बदल दिए कहे कलम से
किस पर क्या लिखूँ, पूछे वो कलम से
भ्रष्टाचारी,बेरोजगारी समस्या न सुलझी
लाचारी,तानाशाही में सरकारें हैं उलझी
मूलभूत अधिकार फंसे कहे कलम से
किस पर क्या लिखूँ, पूछे वो कलम से
मनसीरत कविवर अंतर्द्वंद्वों ने उलझाया
शब्दों ने संकटों का हल नहीं सुलझाया
सियासतदार चोर बने गए,कहे कलम से
किस पर क्या लिखूँ, पूछे वो कलम से
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)