क्या लिखूँ (विवेक बिजनोरी)
“सोचता हूँ क्या लिखूँ
दिल ए बेकरार लिखूँ
या खुद का पहला प्यार लिखूँ
सावन की बौंछार लिखूँ
या सैलाबो की मार लिखूँ
खुशियों का वो ढ़ेर लिखूँ
या किस्मत का फेर लिखूँ
खुद की कोई फिक्र लिखूँ
या खुदा का ज़िक्र लिखूँ
सोचता हूँ क्या लिखूँ
सूरज की वो धूप लिखूँ
या रातो का अंधकार लिखूँ
माँ का वो दुलार लिखूँ
या बाबा की फटकार लिखूँ
बचपन लिखूँ जवानी लिखूँ
या ऐसी कोई कहानी लिखूँ
ख्वाबो की परछाई लिखूँ
या खुद की ये तनहाई लिखूँ
सोचता हूँ क्या लिखूँ
धर्म लिखूँ या ईमान लिखूँ
चाहात लिखूँ या अरमान लिखूँ
खुद की कोई पहचान लिखूँ
या तुमको मैं भगवान लिखूँ
आपनो का वो साथ लिखूँ
या गैरो की सोगात लिखूँ
दिन लिखूँ या रात लिखूँ
कैसे दिल की हर बात लिखूँ
सोचता हूँ क्या लिखूँ
(विवेक बिजनोरी)