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15 Feb 2021 · 4 min read

क्या रखा है नाम में ?

अपने प्रसिद्ध लेखन में , जिसका नाम है रोमियो और जूलियट, विश्व प्रसिद्ध कवि विलियम शेक्सपियर का एक प्रसिद्ध वक्तव्य दिया है,: – “यदि गुलाब को किसी और नाम से पुकारे तो भी वो उतना हीं मीठा सुगंध देगा जितना कि गुलाब के नाम से पुकारने पर देता है” इस कथन की प्रासंगिकता आज भी उतनी हीं हैं जितनी की उस समय थी ।

हालाँकि वह कथन किसी वस्तु की वस्तुगत धारणा पर आधारित है। अगर हम अपनी वस्तुगत नजरिये को व्यक्तिपरक नजरिये से देखें तो कथन आज भी उतना हीं असंगत है जितना कि उस समय था ।

हमें आश्चर्य होता है, कोई अपने बच्चे का नाम दुर्योधन, दुस्शासन या रावण क्यों रखना चाहेगा? जब हमने सुना कि किसी ने अपने बच्चे का नाम तैमूर रखा है, तो हमारा आश्चर्य और झटका कई गुना बढ़ गया। हमने सोचा, आखिर तैमूर के रूप में अपने बच्चे का नाम रखने के पीछे क्या मनोविज्ञान हो सकता है?

बेशक हर माता-पिता को अपनी इच्छा या पसंद के अनुसार अपने बच्चे का नाम रखने का मौलिक अधिकार है। लेकिन निश्चित रूप से यह अधिकार सामाजिक चेतना के अनुरूप होना चाहिए। आखिर तैमूर ने भारत के लिए क्या किया है, जो किसी को उसका अनुकरण करने के लिए प्रेरित कर रहा है। हमें आश्चर्य होता है, क्या वह दयालु, सहनशील था? लेकिन इतिहास तो हमें अलग कहानी बताता है।

बाद में हमने तैमूर नाम रखने के पीछे उसके अभिभावक का स्पष्टीकरण भी सुना। यह समझाया गया कि अरबी में तैमूर का अर्थ लोहा है। लेकिन क्या तैमूर का अर्थ लोहा होना हीं पर्याप्त है यह नाम रखने के लिए या कुछ और बात है ?

इसे हमें भारतीय संदर्भ में समझना होगा। तैमूर का नाम भारत में कैसे जुड़ा है? भारतीय जनमानस में ये शब्द सम्मान से लिया जाता है या धिक्कार से ? इसकी तहकीकात करनी जरुरी है। तैमूर को अपनी जीत के लिए भारत में याद किया जाता है। 1398 में तैमूर ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और लगभग 100,000 बंदी बना लिए। हमने पढ़ा है कि दिल्ली में नागरिकों के तीन दिनों के प्रतिशोध के बाद तैमूर के सैनिकों ने भारतीय नागरिकों की बर्बरता से हत्या की और मृत शरीर को पक्षियों के भोजन के रूप में छोड़ दिया गया । शवों से निकलते हुए दुर्गन्ध से पूरी दिल्ली त्राहिमाम कर रही थी। शायद तैमूर एकमात्र मुस्लिम आक्रमणकारी था जिसने भारत की हिंदू और मुस्लिम आबादी के बीच कोई अंतर नहीं किया। उसने भारत के हिंदू और मुस्लिम आबादी को एक समान गाजर मुली की तरह काट डाला।

बेशक तैमूर विजेता था लेकिन बर्बर भी। भारत में सिकंदर को जिस तरह का सम्मान प्राप्त है, तैमूर को वह सम्मान कभी नहीं मिला। ऐसी ही स्थिति अकबर और औरंगजेब के साथ भी है। हालाँकि औरंगजेब को एक हिंदू पत्नी थी, फिर भी उसने अपनी हिंदू जनता के लिए जिस तरह की क्रूरता दिखाई, वह मुगल साम्राज्य में अद्वितीय है । अकबर को सम्मान से देखा जाता है क्योकि वो एक धर्म निरपेक्ष और दयालु बादशाह था । अगर कोई अपने बच्चे का नाम एलेग्जेंडर या अकबर रखता है तो बात समझ में आती है , लेकिन तैमुर , औरंगजेब का नाम क्यों ? इस तरह के नाम को रखने के पीछे मनोविज्ञान क्या हो सकता है? केवल इसलिए कि किसी शब्द का अर्थ अच्छा है क्या उस नाम को रख लेना चाहिए?

यदि हम इस स्पष्टीकरण से जाते हैं, तो किसी को अपने बच्चे का नाम दुर्योधन और दुशासन के रूप में भी रखना चाहिए। क्योंकि दुर्योधन का अर्थ है, जिसे पराजित नहीं किया जा सकता है और दुशासन शब्द का अर्थ है, जिसको शासित नहीं किया जा सकता । फिर भी कोई भी शरीर अपने बच्चे का नाम नहीं रखता है क्योंकि दुर्योधन और दुशासन के नाम हमें इन पौराणिक चरित्रों द्वारा किए गए बुरे कार्यों की याद दिलाते हैं। तैमुर नाम भी भारत में बर्बरता , विध्वंश से जुड़ा हुआ है । तैमुर को अपनी बर्बर और क्रूर प्रवृत्ति के आक्रान्ता के रूप में जाना जाता है ।

तैमूर तरह के नाम कोई दयालुता या सहिष्णुता के प्रतिक तो है नहीं । कोई भी अनुमान लगा सकता है कि इस तरह के नाम के रखने के पीछे क्या सोच हो सकती है ? या तो ये मानसिकता हो सकती है कि बर्बर आक्रमणकारी द्वारा किए गए बर्बर कृत्य के प्रति किसी भारतीय के मन में अति प्रशंसा का भाव है , या तो अभिभावक ये चाहते हों कि आगे चलकर यह बालक एक पवित्र और दयालु जीवन जीकर भारतीयों के मन इस शब्द से जुडी कलंकित स्मृति को मिटा देगा । लेकिन हम तो केवल अनुमान लगा सकते हैं । इस तरह के नाम को रखने के पीछे वास्तविक रहस्य क्या है , वास्तविक मनोविज्ञान क्या है ये तो केवल ईश्वर हीं बता सकता है।

अजय अमिताभ सुमन

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 4 Comments · 415 Views
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