क्या मिला तुझको?
ऐ दिले नादान आखिर क्या मिला तुझको।
हर सजा दे दी मुझे फिर भी गिला तुझको।।
छोड़कर जाना सही इक सोच हो लेकिन,
सालता होगा तुम्हारा फैसला तुझको।
गलतियाँ मुझसे बताते सच पता चलता,
कान का कच्चा बड़ा सबने छला तुझको।
तोड़ना था दिल अगर बस इल्तिजा करते,
लोग क्यों कहते भला फिर बेवफा तुझको।
अब नहीं मिथलेश कुछ उम्मीद के हिस्से,
खुद बनूँ किस्सा मिले सब कुछ नया तुझको।