क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
क्या मथुरा क्या काशी
जब मन में हो उदासी ?
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जीव जगत एक सामाजिक
वसते वस्ती कस्वे गांव नगर
खेत खलियान जल थल नद्य
सागर जंगल झाड़ पात फूल
पर्णी वट विपट पेड़ों की शाखी
मौज मस्ती संग सहेली इनके
कर्म मर्म धर्म आस्था नियम
अद्भुत संस्कृति संस्कार जहाँ
वेमिशाल ज्ञान इक प्रेरणादायी
करुणा दया प्रेम प्यार सद्भाव
परोपकार अनुशासन आज्ञाकारी
वो हैं भू जगत के वृंदावन वासी
पहचान इसे यहीं तो हैं परमेश्वर
निज कनक धाम मथुरा काशी
घर वसे लक्ष्मी नारायण जनक
जानकी सियाराम अयोध्यावासी
राधा कृष्ण पिता वासुदेव नंद
वावा माता यशोदा वृंदावनवासी
शंकर पार्वती कार्तिकेय गणेश
नन्दी मोर मयूर मूसक सवारी
जो हैं धाम धरा के हिम कैलाशी
घर में ही सब देवी देवों की वास
क्या मथुरा क्या शिव की काशी
करो परिक्रमा निज माता पिता
घर परिवार सामाज नगर वन
वासी मथुरा वृंदावन इक काशी
हँसो बोलो मिलो जुलो प्रेम भाव
सत्कर्म से मिटाओ मन की उदासी
तब समझ में आ जाएगा जग में
क्या मथुरा ? क्या वृंदावन काशी
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तारकेश्वर प्रसाद तरुण