क्या बोलूँ मैं
तुम ही बोलो ना
क्या बोलूँ मैं
दिल के भाव सभी चोटिल हैं
रक्तिम सब उद्गार
कैसा कृत्रिम प्यार तुम्हारा
रिश्तों का व्यापार
सब नकली उपहार
कहो ना
क्या बोलूँ मैं
दिल में अंतिम झंकार
सब टूट गये हैं तार
हृदय का अद्भुत यह व्यापार
कहो ना
क्या बोलूँ मैं ?
-अनिल मिश्र