क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ
* क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ *
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क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ,
बिगड़ा कितना संसार बताने आया हूँ।
जलेबी सी टेढ़ी – मेढ़ी दुनियादारी है,
कोई नही जानता किसकी सरदारी है,
ये दुनिया कितनी गोल बताने आया हूँ।
क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ।
हर पल बदलते रहते रिश्तों के रंग है,
समझ नहीं आता किसके कैसे ढंग हैं,
किसमें कैसी औकात बताने आया हूँ।
क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ।
सांपों सा ज़हरीला हो गया जग सारा,
नज़र नही आता है नभ में कोई तारा,
ये नफरत की दीवार गिराने आया हूँ।
क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ।
मनसीरत खुदगर्जी खून की प्यासी है,
इंसानियत हैवानों की बनी दासी है,
माया मन का जंजाल बताने आया हूँ।
क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ।
क्या बीता मेरे साथ बताने आया हूँ।
बिगड़ा कितना संसार बताने आया हूँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(