क्या बात कहूँ , क्या जाने दूँ ..
है बात बहुत इस दिल में दबी ,
क्या बात कहूँ , क्या जाने दूँ ..
आँखों से समझलो, तो अच्छा है,
या बोलो तो, जुबाँ पर आने दूँ |
शायद, शब्दों में बयां मैं कर न सकूँ,
अपने दिल की गहरायी को..
एहसास करो तुम प्यार मेरा,
समझो न, मेरी तनहायी को..
एेसे गुमशुम सी तुम न रहो,
बोलो न सनम, कुछ बोलो न..
मैं तो थोड़ा सा पागल हूँ,
छोडो भी ये बातें, छोडो न..
आकाश त्रिपाठी (जानू )