क्या बात करें
जीने,खाने की ‘कमाई’ की,
क्या बात करें…
घर चलाने की लड़ाई की,
क्या बात करें…
क्या कोई ‘साख’कमाई है??
ये मसला है..
क्या कोई ‘बात’ कमाई है??
ये मसला है..
‘पगार’ कमा लेने की,क्या बात करें…
किसी मुस्कान की वजह तुम हो,
वो कमाई है…
किसी का आसरा तुम हो,
वो कमाई है….
कागज के भला नोटों की, क्या बात करें….
चार आंख नम हो ये कमा जाना,
जो जिन्दगी छूटे…
कुछ अल्फ़ाज़ दे कर जाना,
जो सांसो कभी छूटे…
बाकी तो शगूफें हैं, उन पर क्या बात करें.
©विवेक’वारिद’ *