क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
आदमी! आदमी न हो पाया आदमी के लिए
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
आदमी! आदमी न हो पाया आदमी के लिए
-सिद्धार्थ गोरखपुरी