Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2023 · 1 min read

क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए

क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
आदमी! आदमी न हो पाया आदमी के लिए
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

3 Likes · 550 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"वाह री दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
👌आभास👌
👌आभास👌
*प्रणय*
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
Dr.Pratibha Prakash
वो और राजनीति
वो और राजनीति
Sanjay ' शून्य'
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल टूटने के बाद
दिल टूटने के बाद
Surinder blackpen
नमन तुमको है वीणापाणि
नमन तुमको है वीणापाणि
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
बाबर के वंशज
बाबर के वंशज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
शेखर सिंह
बड़े भाग मानुष तन पावा
बड़े भाग मानुष तन पावा
आकांक्षा राय
वतन से हम सभी इस वास्ते जीना व मरना है।
वतन से हम सभी इस वास्ते जीना व मरना है।
सत्य कुमार प्रेमी
जिंदगी बोझ लगेगी फिर भी उठाएंगे
जिंदगी बोझ लगेगी फिर भी उठाएंगे
पूर्वार्थ
उल्फत का दीप
उल्फत का दीप
SHAMA PARVEEN
वामांगी   सिखाती   गीत।
वामांगी सिखाती गीत।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
Harminder Kaur
जो दिखाते हैं हम वो जताते नहीं
जो दिखाते हैं हम वो जताते नहीं
Shweta Soni
🙏दोहा🙏
🙏दोहा🙏
राधेश्याम "रागी"
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मां की कलम से!!!
मां की कलम से!!!
Seema gupta,Alwar
*छाई है छवि राम की, दुनिया में चहुॅं ओर (कुंडलिया)*
*छाई है छवि राम की, दुनिया में चहुॅं ओर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बो बहाता नहींं हैं वो पी लेता हैं दर्द में आंसुओ के समुद्र क
बो बहाता नहींं हैं वो पी लेता हैं दर्द में आंसुओ के समुद्र क
Ranjeet kumar patre
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* मधुमास *
* मधुमास *
surenderpal vaidya
चाहे जिसको नोचते,
चाहे जिसको नोचते,
sushil sarna
उदर क्षुधा
उदर क्षुधा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
संवेदना(कलम की दुनिया)
संवेदना(कलम की दुनिया)
Dr. Vaishali Verma
चाहत थी कभी आसमान छूने की
चाहत थी कभी आसमान छूने की
Chitra Bisht
चुप रहना भी तो एक हल है।
चुप रहना भी तो एक हल है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ज़िंदगी की जंग
ज़िंदगी की जंग
Dr. Rajeev Jain
Loading...