क्या? फिर चुनाव आया है!
गली-गली चौराहे पर,
ये कैसा रौनक छाया है?
कहीं चाय तो कहीं मिठाई,
खूब पकौड़ी छनाया है।
क्या? फिर चुनाव आया है!
जिनसे मिलने खातिर भैया,
नैना बरसों तरस गए।
हर बाजार गली मोहल्ले,
अब उनका दर्शन पाया हैI
क्या? फिर चुनाव आया है!
भीड़ गाँधी आश्रम में देखा,
कुर्ता खद्दर मंगवाया है ।
अनेक स्याह चेहरे को फिर,
श्वेत वस्त्र पहनाया है।
क्या? फिर चुनाव आया है!
जिससे बिगड़ी पिछले चुनाव,
उसे उसी नायक संग पाया है।
चमकती टोपी कुर्ता पैजामा,
अगुवा से ही सिलवाया है।
क्या? फिर चुनाव आया है!
चाचा कह प्रणाम देखके,
काका के मन घबराया है।
आप कौन? बाबू बताएं।
नेता जी, सुन चकराया है।
क्या? फिर चुनाव आया है!
नाली नाला साफ सफाई,
शिक्षा मुद्दा गरमाया है।
बल्ब अंधेरे चौराहे देखा,
बिजली खंभे पे लगाया है।
क्या? फिर चुनाव आया है!
हर गाँव में कुछ विशेष,
लोगों में पूड़ी पकाया है।
जनहित में स्वाद चखाने,
चमचे बड़े बनाया है।
क्या? फिर चुनाव आया है!
कृषि समस्या महिला उत्थान,
लिख कागज पर सटाया है।
रोजगार अब हर घर होगा,
मोठे लिपि में ही छपाया है।
क्या? फिर चुनाव आया है!
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
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