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26 Jul 2024 · 2 min read

क्या फर्क पड़ेगा

हमारे जैसे कितने आये और कितने गये,
किसी को क्या फर्क पड़ेगा ।
इतिहास के पन्नों में बहुतेरे नाम दर्ज हैं,
एक नाम मेरा भी जुड़ जायेगा,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

अब मौत भुख से हो या गरीबी से,
कोई तड़पता है, तो तड़पने दो ।
किस – किस का ख्याल रखें हम,
जो मर रहे हैं, उन्हें मरने दो ।।

इतने सारे तो मर चुके हैं,
कुछ और मर जायेंगे,
तो उन्हें क्या फर्क पड़ेगा ।।

जाति-धर्म-मजहब, उनके लिए,
कुछ नहीं है एक समान ।
अंधकार में रखकर इनको,
सबको करना है परेशान ।।

इतना जहर घोल दो इनमें,
जल्द चले जायें, शमशान ।
आपस में लड़ – झगड़कर ये,
एक – दूजे की, ले – लेवें जान ।।

आजादी तो मिल चुकी है,
जो करना है करो ।
अच्छा-बुरा न सोचना है,
तो जी भरकर खूब लड़ो ।

इतने तो लड़कर मर चुके हैं,
कुछ और मर जायेंगे,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

पहले हँसता है,बाद में रोता है,
ज्लदबाजी ठीक नहीं होता है।

कुछ अच्छा करने के लिये,
जो करना है वो करो,
इतना देर तो कर चुके हो,
थोड़ा और देर हो जाएगा,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

जिसे अच्छे बुरे की समझ नहीं,
वो कोई काम क्या करेगा ।
जिसके माथे पर बोझ पड़ा हो,
वो आराम क्या करेगा ।।

जो कुछ कर दिखाने की है चाहत,
तो करो,
सोच मत कुछ और ।
कहने वाले हैं यहाँ सब,
कर दिखाने वाले हैं कहाँ ।।

आलोचनाएँ तो उनकी भी होती है,
जो हो चुके हैं सफल ।
एक तुम्हारी भी हो जाएँगी,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

लेखक : – मन मोहन कृष्ण
तारीख : – 22/04/2020
समय – 08 : 30 ( रात्रि )

Language: Hindi
114 Views

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