क्या नारी को अपने अधिकारों का भान है?
क्या नारी को अपने अधिकारों का भान है?
नारी शिक्षा का महत्व–
नारी शिक्षा को महत्व नहीं देंगे तो हमारा समाज जो है,अगर हम कहे कि विकसित एवं शिक्षित समाज की स्थापना हो पाएगी तो यह असम्भव है। स्त्री शिक्षा पर महान लोगों का कथन था, जैसे महान सेना नायक नेपोलियन ने कहा था कि बालक का भावी भविष्य सदैव उसकी माता बनाती है। अर्थात माता शिक्षित नहीं होगी तो वह बालक का भविष्य नहीं बना सकती। अन्य विद्वानों के कथक अनुसार मां सर्वोत्तम शिक्षिका है। वर्तमान समय में भारत के सदूर कोनो तक प्रत्येक बालिकाएं, महिलाएं शिक्षित है तथा उच्च पदों को प्राप्त है, या यूं कहें कि वह पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर प्रत्येक विकट कार्य करने में प्रबल है। यह भारत का सौभाग्य है कि परतंत्रता काल में जो कार्य या अधिकार महिलाओं को प्राप्त नहीं थे वह आज प्रत्येक महिलाओं को प्राप्त है । भारत के संविधान में जो महिलाओं के लिए बने कानून एवं विशेष अधिकार है उनका गांव के कोने-कोने तक महिलाओं एवं बालिकाओं को उसका पूरा भान है और उसका पूरा -पूरा लाभ उठा भी रही है। आज की महिलाएं रूढ़िवादी विचारों से दूर खुले विचारों से सिर उठाकर समाज में जी रही है और बहुत नाम कमा रही है। परन्तु भारत में कुछ ऐसे भी स्थान है या समाज है जैसे घुमंतु समुदाय ।जहां महिलाएं तो क्या पुरुष वर्ग बालक -बालिकाएं अशिक्षित हैं। ऐसे लोग किताबी ज्ञान न रखते हुए अपने अधिकारों एवं समाज में अच्छे ढंग से जीने का ज्ञान अत्याधिक रखते हैं। इनकी महिलाओं को भी अपने मौलिक अधिकारों का अधिक ज्ञान है शिक्षित महिलाएं दो घरों की शान होती है दोनों घरों की आन बनाए रखना वे अपना दायित्व मानती है और सलीके से संवारती भी है।
भारतीय सरकार ने जो महिलाओं के हित के लिए कानून बनाए उनका मेरी नजर से कहीं कहीं सदुपयोग व कहीं कहीं दुरुपयोग हो रहा है। उदाहरण के लिए दहेज लेना देना कानूनी अपराध है परंतु इसके लिए आज भी कहीं बेटियां जलाई जाती है या कहीं झूठे इल्जाम में ससुराल पक्ष जेलों में पाए जाते हैं ।वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेटियां शादी के बाद घर के किसी भी काम में हाथ नहीं लगाती ।कुछ कहने पर वे तुरंत महिला आयोग या अदालत में झूठे केस बनाकर के ससुराल पक्ष को फंसा रही है ,परंतु अच्छे संस्कारों वाली शिक्षित बेटियां उच्च पदों पर रहते हुए भी अपना परिवार संभालती है कुछ शिक्षित महिलाओं ने अपने संस्कारों को भुला अपने पहनावे पर ध्यान न देकर, देर रात तक लौटना या सुनसान स्थानों पर बेझिझक चली जाना और कुकर्मियों का शिकार होकर दर्दनाक मृत्यु को प्राप्त होती है। मेरी दृष्टि से महिलाओं का किताबी शिक्षित होने के साथ-साथ संस्कारों से शिक्षित होना भी बहुत आवश्यक है और महिलाओं के हित में बने कानून का सदुपयोग करें घर से बाहर जाने पर समय का ध्यान रखें और अपने बौद्धिक ज्ञान को बढ़ाएं।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश