क्या था गुनाह मेरा
पनघट पर आज भी करती इंतजार तेरा,
तु ना आऐ कान्हा, ऐसा क्या था गुनाह मेरा,
अपने ही नजरों से क्यों दुर किया,
क्यों तोड़ दिया अपने हि दिल के टुकड़े को,
ऐसा क्या किया गलती हमनें,
जो अपने ही हाथों अपने ही प्रियतमा के,
गला घोंट गए,
क्यों कान्हा ऐसा क्या किया था गुनाह हमें,
जो हमें तुम छोड़ चले गए