— क्या तू मानव है ? —
अगर तू मानव है तो
क्या तेरा खुद की जिंदगी पर
कोई अधिकार है
किस शय पर करता है नाज
भला तेरा यहाँ वजूद क्या है
खुद की सांस भी तो तेरी नहीं
पर तेरा खुद पर अधिकार क्या है
इंसान की योनि में पैदा हुआ
तो क्यूँ करता है अपराध
एक कदम तो चल नहीं पाता
बिना उस की की किरपा निधान
तेरे कर्मों को देख नहीं लगता
कि सच में है इंसान रे।
अजीत कुमार तलवार
मेरठ