क्या -जाँचने की यही है कसौटी
क्या- जाँचने की यही है कसौटी
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हमारी सोच क्यों हो गई है छोटी
क्या जाँजने की यहीं है कसौटी
व्यक्ति से व्यक्ति तक क्यों भिन्न
प्रत्येक रहे ऐसी नीतियों से खिन्न
क्यों ,निष्पक्षता की नहीं है बोटी
क्या -जाँचने की यही है कसौटी
क्यों बिक रहें यहाँ जाँच प्रभारी
फिर कौन रह सकेगा आभारी
बदले में लेने लगे हैं रकम मोटी
क्या- जाँचने की यही हैं कसौटी
अपराधी खूलेआम रहता घूमता
पीड़ित को हर कोई रहे है लूटता
क्या यही है न्याय की यहाँ सोटी
क्या- जाँचने की यही है कसौटी
गुनाहगार क्यों हैं पदों पर आसीन
न्याय हेतु यहाँ बिक रहे घर जमीन
क्या अब न्याय की कीमत खसौटी
क्या- जाँचने की यही है कसौटी
मासूम,युवा,प्रौढ भी हो रही शिकार
नहीं थम रहा है ये तूफान अत्याचार
आबरु की नित उतरती बोटी- बोटी
क्या – जाँचने की यही है कसौटी
दंगा करने वाले क्यो होते नहीं नंगे
हर रोज नये मुद्दों पर होते यहाँ दंगे
क्यों नहीं है दंगाइयों की उम्र छोटी
क्या – जाँचने की यही है कसौटी
क्यों उभरती नहीं यहाँ प्रेम भा्नाएं
बढ़ती जा रही हैं यहाँ पर यातनाएं
सुखविंद्र,कब मिलेगी सभी को रोटी
क्या – जाँचने की यही है कसौटी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258