क्या खूब थी वो जिंदगी ,
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
जिसमें मैं थी और मेरी तन्हाई थी ।
अब है हर तरफ रिश्तों की भीड़ ,
जिसकी हर जुबा खंजर ,
और नजर है पराई सी ।
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
जिसमें मैं थी और मेरी तन्हाई थी ।
अब है हर तरफ रिश्तों की भीड़ ,
जिसकी हर जुबा खंजर ,
और नजर है पराई सी ।