क्या खूब जमाना
( गज़ल )
जिदंगी के वो लम्हे याद आते हैं,
गूजर रहा था समय खुशियो में,
वो रात दिaन याद आते हैं,
क्या वो दिन थे जिन्हें हम याद कर मुसकुराते हैं,
सिमट गये हैं यादों के दफ़तर में,
वो मिलने हमसे आयें ,
कुछ कह कर तो गूजर जाते,
याद आ गयी हमें उनकी,
जिनकी यादों में हम रहकर,
उनसे ही हम मुसकुराऐ,
कर रहे हवाओं से बातें वो जाये उन्हें दे संदेश हम आयें,
समय कैसा उनका हम उसमें भी आये हैं,
कितनी बैरूखी उनके चहरै पर छाई थी,
हम पास वो देख मुस्काराये थे,
जाते ही उनने वो हाल बताया हैं,
पहले हम बैरूखाऐ,आज मौसम हरसाया हैं,
आये तुम यहाँ जैसे सवान में घटा ऐ छाया हैं,
गूजरे वो दिन थे ,हमें यादों याद आया हैं,
कितना मौसम हँसी वो,हमें एक साथ लाया है,
चाहत मैरी अब ये ,सभी एक साथ आयेंगे,
आजाओं तुम भी अब,कुछ पल साथ बितायेंगे,
लेखक— Jayvind singh