$$ क्या किसी से गिला मेरा $$
एक दिन आएगा .
ऐसा कि मैं कहीं नजर नहीं आऊँगा,
बहुत दुःख हैं दिल के अंदर,
चुपचाप कहीं समां जाऊँगा…
न उस दिन किसी को शिकवा होगा,
न किसी से कोई गिला होगा,
दो दिन याद करेंगे सब लोग,
अगले रोज फिर किसी को याद नहीं आऊँगा..
डाली पर खिलते फूल की तरह
तोड़ मैं भी दिया जाऊंगा
खुशबु भी तो तब तक रहती है
जब तक डाल से तोडा न जाऊँगा……
अजीत कुमार तलवार
मेरठ