क्या कहें ये गलत है या यारो सही।
गज़ल
212/212/212/212
क्या कहें ये गलत है या यारो सही।
कहते हैं जो हॅंसी बस वही है फॅंसी।
प्यार की कोई सीमा नहीं दोस्तों,
उसकी इसकी हुई इसकी उसकी हुई।
जिंदगी दांव पर भी लगाई मगर,
ये न सोचा ग़लत है कि या है सही।
प्यार अंधा है पर इतना तो देखिए,
फायदा मत उठाये हो चाहे कोई।
चाहे दुनियां इधर से उधर हो मगर,
जो है बच्चों की मां वो न छूटे कभी।
दूसरा कोई सानी नहीं प्यार का,
प्यार पर ही तो सारी है दुनियां टिकी।
इश्क करना तो ‘प्रेमी’ से ऐसे करो,
प्यार में जैसे मीरा व राधा बनी,
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी