क्या कहू लक्ष्मी घर मे आई (कविता)
खुदा ने क्या खुब बनाई
मिट न जाऊ देखे बिना पल मे
देखू तुम्हे लू लाख अँगड़ाई
तुमने क्या परी जैसे मूरत पाई
क्या कहू लक्ष्मी घर मे आई
तेरे आने से जिंदगी मे
बहार उमर कर आई
खिल उठा घर आगन हमारा
हँसी ठिठोली साथ समृद्धि ममता
सखी सहेली बन कर आई
क्या कहू लक्ष्मी घर मे आई
माँ को मिली हो अपनी जैसे बेटी
सीता जैसे समझू घर को आई
सोने से तोलू कम है जैसे
अभिनव जयदेव की शुशीला हो ऐसे
हे खुदा तुमने क्या चीज बनाई
क्या कहू लक्ष्मी घर मे आई
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य