-क्या कहूं भला मैं !!
– क्या कहूं भला मैं ??
यह कैसा तेरा प्यार
नित नूतन अवतार।
बनावटी बातों से सजा
व्यंग तानों से कसा।
मन में आग भरी अति
नयन झलकाते पानी।
पर, अंतर मन की कोई
क्या जाने मेरी कहानी,
मेरी तो वहीं व्यथा पुरानी।
स्नेह रस अपनापन की सानी
ममतमयी होती मां सबकी
वात्सल्य ममत्व की दीवानी।
सुना तना कसा बाण व्यंग जब से
मन में मौन, अधर पर वाणी।
सत्य सत्य है किंतु स्वप्न में-
भी कोई छल कपट की ना ठानी ।
स्वप्न अगर छलना है तो
सत का संबल भी जल होता है
जितनी दूर तुम्हारी मंजिल
उतनी मेरी राह अजानी।
मै मेरे मन मीत पिया प्रीतम
की रहूंगी सदा दीवानी।
तुझसे मिलना इत्तफाक था
या कहूं शायद रब की मेहरबानी।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान
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