क्या कहा ए दिल तूने
क्या कहा तूने ए दिल, मुस्कुराना छोड़ दें
उसकी गलियों में यूँ ,आना जाना छोड़ दें
ग़ुमराह मत कर इस क़दर हमकों ए दिल
मेरे इश्क़ पर अपना हक़ जताना छोड़ दें
तू कोई दरिया नहीं है कश्तियाँ डुबो देगा
मेरे लिये मगरमच्छी आसुँ बहाना छोड़ दें
नहीं जरूरत तेरी दुआओं की मुझकों सुन
मेरे मरज के लिए दुआ का बहाना छोड़ दें
चार दिन की जिंदगी में हसरतें हज़ारों तेरी
तू ही आशिक़ी के गीत गुनगुनाना छोड़ दें
तू कहेगा तो शहर क्या दुनिया छोड़ दूँगा मैं
शर्त ए दिल तू सीने में धड़क जाना छोड़ दें
मैं रूठ जाऊँ तो मना लेंगे मुझको महबूब
तु किसी को अपना ,खुदा बनाना छोड़ दें