क्या करे
दिल में दर्दो गम का मेला हो तो क्या करे
इस हाल में गर कोई अकेला हो तो क्या करे
लोग दिल से खेले तो खामोश ही रहा ‘अर्श’
जब कोई जज़्बात से खेला हो तो क्या करे
दिल में दर्दो गम का मेला हो तो क्या करे
इस हाल में गर कोई अकेला हो तो क्या करे
लोग दिल से खेले तो खामोश ही रहा ‘अर्श’
जब कोई जज़्बात से खेला हो तो क्या करे