क्या कमी रह गयी
मुझसे क्या कमी रह गयी
तेरी आँखों में नमी रह गयी
आसमाँ की जो चाहत की
दूर मुझसे ज़मी रह गयी
ये कैसा इन्तज़ार दिया तुमने
आँख खुली की खुली रह गयी
इज़हारे तमन्ना ना कर सके ‘अर्श’
बात ज़ुबाँ पर अटकी रह गयी
मुझसे क्या कमी रह गयी
तेरी आँखों में नमी रह गयी
आसमाँ की जो चाहत की
दूर मुझसे ज़मी रह गयी
ये कैसा इन्तज़ार दिया तुमने
आँख खुली की खुली रह गयी
इज़हारे तमन्ना ना कर सके ‘अर्श’
बात ज़ुबाँ पर अटकी रह गयी