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16 Aug 2023 · 1 min read

क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?

क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
क्या अब भी आईने से बातें करतीं हों क्या ?
सुना हैं आपके “वो” ग़ुस्से वाले बहुत हैं
उनके सामने भी खुलकर हस्ती हों क्या ?

The_dk_poetry

1 Like · 359 Views
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