कौम और काफिर
लहूलुहान इस धरती पर
वो देखो किसकी लाश पड़ी।
शेख साहब की लड़की है
अभी देखा था उसे वहीं खड़ी।
रोती थी, चिल्लाती थी
अब्बू पुकारती थी अड़ी।
गोली आई ना कौम पूछा,
सीधे सीने में जा पड़ी।
जो भाई,
एक काम करो,
अपने खुदा से एक मांग करो।
संगीनों को तुम्हारी वो,
ऐसी आग नवाज़ करे।
गोली निकले तो कौम पूछे,
फिर काफिरों को ख़ाक करे।