Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2022 · 1 min read

कौमी एकता

व्यंग्य
कौमी एकता
***********
आइए! हम सब मिलकर
आज फिर कौमी एकता की बात करें,
अमन, भाईचारा, सद्भाव का विकास करें।
पर थोड़ा ठहर जाइए
पहले माहौल बिगाड़ने का
कुछ तो इंतजाम करें।
आइए! हम सब पहले लड़ते झगड़ते हैं
किसी का सिर फोड़ते हैं
किसी का घर, मकान, दुकान जलाते हैं
किसी की मां, बहन, बेटी का
सरेआम अपमान करते हैं
या फिर कुछ न करें तो
किसी मंदिर, मस्जिद, गिरिजा, गुरुद्वारे पर
बवाल का अंगार बरसाते हैं।
कुछ हम खोते हैं,
कुछ आप भी खो लीजिए
फिर हम सब मिल बैठकर
कौमी एकता की दुहाई देते हैं
अमन चैन भाईचारे का पाठ पढ़ाते हैं.
राजनीतिज्ञों के जाल में उलझे
मुंह में राम बगल में छुरी सदृश
कौमी एकता का नया संदेश देते हैं,
बहुत कुछ खोकर , थोड़ा पाने का इंतजाम करते हैं,
कौमी एकता का ढोंग जरा अच्छे से करते हैं
गले लगते, लगाते हैं, पीठ में छुरा घोंपते हैं
कौमी एकता की नई इबारत लिखते हैं।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में सब भाई भाई
ये संदेश अखबारों, चैनलों, सोशल मीडिया पर
बैठकों गोष्ठियों, बयानों के माध्यम से
पूरी दुनिया को बताते हैं
कौमी एकता दिवस, सप्ताह, पखवारा ही नहीं
कौमी एकता वर्ष भी मनाते हैं
अपने दिल को बहलाते हैं
कौमी एकता का नारा चीख चीखकर लगाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित।

Language: Hindi
1 Like · 259 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बदलती स्याही
बदलती स्याही
Seema gupta,Alwar
कुछ बातें बस बाते होती है
कुछ बातें बस बाते होती है
पूर्वार्थ
परीक्षा है सर पर..!
परीक्षा है सर पर..!
भवेश
🌷 *परम आदरणीय शलपनाथ यादव
🌷 *परम आदरणीय शलपनाथ यादव "प्रेम " जी के अवतरण दिवस पर विशेष
Dr.Khedu Bharti
गाँव का दृश्य (गीत)
गाँव का दृश्य (गीत)
प्रीतम श्रावस्तवी
*पार्क (बाल कविता)*
*पार्क (बाल कविता)*
Ravi Prakash
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हर एक राज को राज ही रख के आ गए.....
हर एक राज को राज ही रख के आ गए.....
कवि दीपक बवेजा
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
Sonam Puneet Dubey
खत्म हुआ एक और दिन
खत्म हुआ एक और दिन
Chitra Bisht
अनेकता में एकता 🇮🇳🇮🇳
अनेकता में एकता 🇮🇳🇮🇳
Madhuri Markandy
हुईं क्रांति
हुईं क्रांति
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
एहसास
एहसास
Dr. Rajeev Jain
नए वर्ष की इस पावन बेला में
नए वर्ष की इस पावन बेला में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*एक तथ्य*
*एक तथ्य*
*प्रणय प्रभात*
पल्लवित प्रेम
पल्लवित प्रेम
Er.Navaneet R Shandily
खुशनसीब
खुशनसीब
Bodhisatva kastooriya
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
शेखर सिंह
26. ज़ाया
26. ज़ाया
Rajeev Dutta
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
VINOD CHAUHAN
एक वृक्ष जिसे काट दो
एक वृक्ष जिसे काट दो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कविता -
कविता - " रक्षाबंधन इसको कहता ज़माना है "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ग़ज़ल _ करी इज़्ज़त बड़े छोटों की ,बस ईमानदारी से ।
ग़ज़ल _ करी इज़्ज़त बड़े छोटों की ,बस ईमानदारी से ।
Neelofar Khan
नई दृष्टि निर्माण किये हमने।
नई दृष्टि निर्माण किये हमने।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
लिखें हैं नगमें जो मैंने
लिखें हैं नगमें जो मैंने
gurudeenverma198
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
seema sharma
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
*अद्वितीय गुणगान*
*अद्वितीय गुणगान*
Dushyant Kumar
"बस्तर की जीवन रेखा"
Dr. Kishan tandon kranti
पेट भरता नहीं
पेट भरता नहीं
Dr fauzia Naseem shad
Loading...