कौन???
दिल टूटा तो सबर से जोड़ा
सबर टूटे तो जोड़े कौन
अपना दिल है अपनी ख्वाहिश
अपनी खुशियाँ तोड़े कौन
मेरी ओर सुनामी दुःख की
आती है तो बह जाने दे
बहना ही ज़ब तय है तो
उसकी दिशा को मोड़े कौन
टूट के जुड़ना फिर से टुटना
ज़ब यही नसीब में लाया हूँ
हम तोड़ेंगे कहते हैं अब सब
ये भी कहते के … हथोड़े कौन?
खुद की बाँह में दर्द आह की
चाह नहीं के ठीक भी हो
अपना मन है अपनी इच्छा
खुद की बाँह मड़ोड़े कौन
सब तो मन का भरम सा लगता
भरम से जग का चलना जाहिर
भरम साथ है भले भरम है
भरम को बीच में छोड़े कौन
इल्म भले के पूर्ण न होगा
फिर भी हर पल ढोते हैं
ख्वाब की गगरी कच्ची है पर
पक्की करके फोड़े कौन
-सिद्धार्थ गोरखपुरी