Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2021 · 1 min read

कौन हो तुम ?

जब मैं पढ़ रहा था कालिदास , पन्त, और द्विवेदी को
तब समाज के उच्चवर्गीय बुद्धिजीवी लोग
अमीर खुशरो , मिर्जा गालिब और शेक्सपियर को लेकर घूम रहे थे ।
मंचो में, पुस्तकालयों में , विरह में , प्रेम प्रसंगों, और व्यंगों मे
और न जाने कहाँ कहाँ..?
मेरी हिन्दी और उसके उपासक अपनी ही भारतभूमि मे धूल से भरी चादर में मूर्छित हैं,
उधर ग़ालिब और खुशरो तालियां बटोरते रहे
इधर कालिदास की उपमाओ पर जाले लगते गये ।
भाषा पर हर किसी का अधिकार है लेकिन
ये भी कहाँ तक ठीक है ?
कि अपनी माँ का आँचल छोड़कर हम दूसरी माँ के आँचल में लोरियाँ रटते रहे ..
हम न्यूटन – आइंस्टीन रटते गये ,
और सुश्रुत – कणाद को भूलते गये ।
हमारी काव्यधारा में अलंकार कहाँ अब ,
यहाँ तो नीरस बहता है शबाब ।
अब भरत के भारत वासी नहीं हम ,
फिरंगियों के इंडियन और बाबर के हिंदुस्तानी हैं ।
जिस किले के चार स्तम्भ थे हम
आज टुकड़ों में ही बंट गए…
हम स्वयं की पहचान कैसे बताये ?
भाषा से, संस्कृति से, विज्ञान से..
या सैकड़ों वर्षों की परतंत्रता से..
यही प्रश्न है आपसे , मुझसे , और सनातनियों से……
कौन हो तुम ?

– अमित नैथानी ‘मिट्ठू’

Language: Hindi
336 Views

You may also like these posts

किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
Phool gufran
"" *पेड़ों की पुकार* ""
सुनीलानंद महंत
बेटी
बेटी
नूरफातिमा खातून नूरी
शीर्षक -आँख क्यूँ नम है!
शीर्षक -आँख क्यूँ नम है!
Sushma Singh
उसकी अदा तो प्रेम पुजारी लगी मुझे।
उसकी अदा तो प्रेम पुजारी लगी मुझे।
Sachin Mishra
" बेवफाई "
Dr. Kishan tandon kranti
भरोसे का बना रहना
भरोसे का बना रहना
surenderpal vaidya
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??
पंकज परिंदा
नफ़रतों का दौर कैसा चल गया
नफ़रतों का दौर कैसा चल गया
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
जाने जां निगाहों में
जाने जां निगाहों में
मधुसूदन गौतम
रानी लक्ष्मी बाई
रानी लक्ष्मी बाई
MUSKAAN YADAV
बीज उजाळी भादवै, उमड़ै भगत अपार।
बीज उजाळी भादवै, उमड़ै भगत अपार।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
From I to We- Please Marry Me
From I to We- Please Marry Me
Deep Shikha
हमारी शान है हिन्दी,   हमारा मान है हिन्दी।
हमारी शान है हिन्दी, हमारा मान है हिन्दी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Dadi dada
Dadi dada
Utkarsh Dubey “Kokil”
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
Rj Anand Prajapati
कर मुक्त द्वेष से खुदको
कर मुक्त द्वेष से खुदको
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
2550.पूर्णिका
2550.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
Dinesh Kumar Gangwar
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सपनों को सजाना क्या
सपनों को सजाना क्या
अमित कुमार
*बदला लेने का मतलब बस, अपना समय गॅंवाना है (हिंदी गजल)*
*बदला लेने का मतलब बस, अपना समय गॅंवाना है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जरुरी है बहुत जिंदगी में इश्क मगर,
जरुरी है बहुत जिंदगी में इश्क मगर,
शेखर सिंह
अर्थार्जन का सुखद संयोग
अर्थार्जन का सुखद संयोग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मदिरालय से दूरी कैसी?
मदिरालय से दूरी कैसी?
AJAY AMITABH SUMAN
अपने आप से एक ही बात कहनी है
अपने आप से एक ही बात कहनी है
Rekha khichi
बड़े वे भाग्यशाली दोस्त जिनके साथ चलते हैं
बड़े वे भाग्यशाली दोस्त जिनके साथ चलते हैं
Dr Archana Gupta
😢                         😢
😢 😢
*प्रणय*
Loading...