कौन हो तुम?
कौन हो तुम?
जो अपने होकर भी अजनबी हो
कौन हो तुम? जो साथ होकर भी साथ नहीं हो
कौन हो तुम? जो आम होकर भी खास हो
कौन हो तुम? जो भावनारहित अहसास हो
कौन हो तुम ?जो कल्पना से परे हो
जो सुख की नहीं दुःख की अभिव्यंजना हो
व्यथा हो किसी के नाश की
शून्यता से भरे आकाश की
तख्ती हो किसी की बलिवेदी की
कौन आखिर कौन हो तुम ???
पाषाण हो या की हो मोम,
आखिर कौन हो तुम !!!