कौन हो तुम मेरे लिये “
“कौन हो तुम मेरे लिये ”
पूछता हैं जमाना कि कौन हो तुम मेरे लिये,
हमने बताया कि जीने की वजाह हो तुम मेरे लिये,
जैसे बजूद नही दरिया का बिन आब,
वैसे ही हम है बिन आप ,
कौन कहता है की जीने के लिये सिर्फ़ साँसों की जरूरत है,
हम से पूछो हमे तो सिर्फ़ तेरी जरूरत है l
हम तो थे दिल से मुर्दा,
जिंदा तो तेरे गाल के तिल ने किया,
मुर्दा से हुऐ जिंदा को अब साँसों की नही, तेरी मोहब्बत की तलव है,
कि पूछता है जमाना कौन हो तुम मेरे लिये,
कैसे बताऊ जमाने को कि जमाना हो तुम मेरे लिये l