कौन हूँ
कौन हूँ……
बतलाओ मैं कौन हूँ
काली घटाओं सी
बरसती बूँदों सी या
बेबस मौन हूँ।
इक अटल शीला या
सुमन सी कोमल हूँ
हरपल खिलखिलाती यूँ
चंचल हिरनी सी
या चुप सी खामोश हूँ
समेट आँचल में खुशियाँ
इठलाती नारी हूँ
बहती सरल सरीता
थमता कोई छोर हूँ
स्वप्न सी अनोखी सुंदर
यथार्थ सी कठोर हूँ
गहरी स्याह निशा या
सुनहरी इक भोर हूँ
सुगम अभिलाषा कोई
अगम इक पहेली हूँ
दमकी चपला दामिनी
जलद सी घनघोर हूँ
अलबेली रूठी हुई
बदली हुई सी हूँ
मन दर्पण में हूँ बसी
आनन कोई और हूँ।।
✍ “कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक