कौन हूँ मैं ?
एक नन्हा सा दीप हूँ मैं ,
मुझे अंधकार में रोशन तो होने दो ।
एक महकती हवा सा हूँ मैं,
मुझे मन्द मन्द बहने तो दो।
नीलाम्बर सा हूँ मैं,
मुझे धरा को निहारने तो दो,
श्वेत-श्याम मेघ सा हूँ मैं,
मुझे पर्वतों का आलिंगन तो करने दो।
नीर की इक बूँद सा हूँ मैं,
मुझे क्षीर में मिल जाने तो दो।
हिम शैल-शिखर सा हूँ मैं,
मुझे थोड़ा अडिग तो रहने हो ।
एक हँसता – मुस्कुराता पुष्प हूँ मैं,
मुझे प्रकृति का श्रृंगार तो करने दो ।
मैं क्या हूँ और क्या नहीं,
बस मुझे अनभिज्ञ से भिज्ञ तो हो जाने दो ।
©®- अमित नैथानी ‘मिट्ठू’ – (अनभिज्ञ )