क्या पाया और क्या खोया …
जब भी मेरा फ़साना, ज़माना तुम्हें सुनाएगा
हर लम्हा तुम्हें, मेरे इर्द-गिर्द ही पाएगा…
जिंदगी कुछ ना थी, सिवाय एक कशमकश के
बीत जाने पर तुम्हें, कौन ये समझाएगा…
सवाल था कि क्या पाया और क्या खोया
जवाब में तुम्हें, मेरा इंतजार याद आएगा…
वक्त जब करेगा, मेरे हासिल का हिसाब
तुम्हें जरूर मेरा, खाली दामन नज़र आएगा…
ना लाना मांँगकर चिरागों से रोशनी ‘अर्पिता’
वरना वो शख्स अँधेरों – सा क़हर ढाएगा…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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